उमरिया (संवाद)। जिले का स्वास्थ्य विभाग धांधली और गड़बड़ियों के आरोप में हमेशा से सुर्खियों में रहा है, वही 19 फरवरी को की गई भर्ती में धांधली की बू आ रही है। गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के आई सी टी सी के अंतर्गत परामर्शदाता के पदों पर संविदा नियुक्ति की जानी थी। जिसमें 2 पदों, उमरिया व पाली में नियुक्ति की जानी थी जिसके लिए एक अनारक्षित और एक अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया गया था।
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उमरिया (संवाद)। जिले का स्वास्थ्य विभाग धांधली और गड़बड़ियों के आरोप में हमेशा से सुर्खियों में रहा है, वही 19 फरवरी को की गई भर्ती में धांधली की बू आ रही है। गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के आई सी टी सी के अंतर्गत परामर्शदाता के पदों पर संविदा नियुक्ति की जानी थी। जिसमें 2 पदों, उमरिया व पाली में नियुक्ति की जानी थी जिसके लिए एक अनारक्षित और एक अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया गया था।जानकारी के मुताबिक चयनित अभ्यर्थी सीमा बोपचे पिता दीपक बोपचे निवासी जिला बालाघाट का चयन अनारक्षित पद पर कर लिया गया है। जबकि सीमा बोच्चे का चयन सीधी जिले में भी इसके पहले हो चुका था, लेकिन उसके द्वारा सीधी में ज्वाइन ना करके राजनीतिक दबाव के चलते उमरिया में किया गया है। वहीं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए पायल पट्टा पिता शिव लाल पट्टा का चयन किया गया है। जबकि पायल पट्टा आयोजित की गई परीक्षा जिसका समय 11:00 से 12:05 तक निर्धारित था उसमें अनुपस्थित रही हैं। इसके अलावा पायल पट्टा 14 फरवरी से 19 फरवरी तक छुट्टी पर थी, बावजूद इसके पायल का भी चयन नियम विरुद्ध तरीके से कर लिया गया है। जिससे साफ जाहिर होता है कि स्वास्थ्य विभाग की आईसीटीसी में की गई भर्ती में पूरी धांधली बरती गई है और नियमों की अनदेखी की गई है। इस पूरे मामले में मजेदार बात यह कि यह पूरी प्रक्रिया जिले के संवेदनशील व ईमानदार कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की जानकारी में की गई है इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग का रवैया वही रहा जिसके लिए वह सुर्खियों में रहता है।