सीधी (संवाद)। शबरी माता जयंती के अवसर पर सतना जिले में में आयोजित कोल समाज महाकुंभ में शामिल होकर सीधी लौट रही बस दुर्घटना का शिकार हुई है।जिसमें 17 लोगों की मौत और 45 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। सीधी के मोहनिया टनल के पास हुए इस भीषण सड़क दुर्घटना का कारण महज हादसा है या अधिकारियों की लापरवाही?
24 फरवरी को सतना जिले में माता शबरी जयंती के अवसर पर कोल समाज महाकुंभ का आयोजन किया गया था जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान सहित तमाम मंत्री विधायक शामिल हुए थे इस महाकुंभ में पूरे बिंद क्षेत्र के कॉल समाज के लगभग एक लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए थे महाकुंभ में शामिल होने के बाद अपने निवास स्थान सीधी जिले बस से लौट रहे लोग सड़क दुर्घटना का शिकार हुए हैं जिसमें एक तेज रफ्तार ट्रक ने सड़क किनारे खड़ी तीन बसों को जोरदार टक्कर मार दी जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई है और 50 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं।
दरअसल हादसा उस वक्त हुआ जब महाकुंभ से लौट रही बसु मैं सवार लोगों को सीधी जिले के मोहनिया टहल के पास अधिकारी कर्मचारियों के द्वारा भोजन के पैकेट बांटे जा रहे थे। इसके लिए अधिकारियों ने बस में सवार लोगों के साथ शासकीय वॉलिंटियर को निर्देशित किया गया था कि सीधी जिले के तरफ आने वाली जो भी बसें महाकुंभ में शामिल होने गई थी उन्हें लौटते वक्त रीवा होकर मोहनिया टनल के पास पहुंचना है जहां पर उन्हें भोजन के पैकेट वितरित किए जाएंगे। इस निर्देश के बाद बसों में सवार वालंटियर अपनी अपनी बसों को लेकर मोहनिया टनल के पास पहुंच गए और लोगों को भोजन के पैकेट दिए जाने लगे। उसी दौरान तेज रफ्तार गुजर रहे ट्रक ने एक लाइन से सड़क किनारे खड़ी तीनों बसों में जोरदार टक्कर मारी और देखते ही देखते लोगों में चीख-पुकार मच गई। हालांकि जब भोजन के पैकेट दिए जा रहे थे उस दौरान लोग बस के नीचे थे और खाने के पैकेट ले रहे थे।
अब बड़ा सवाल यह है कि खाने के लिए जिन अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी वह लोगों को जाते समय पैकेट नहीं दे पाए या उन्हें विलंब हो गया। जिससे वह तय किया कि जब बसे महाकुंभ में शामिल होकर लौटेंगी, तब उन्हें भोजन दिया जाएगा। भोजन की जिम्मेदारी सीधी जिले के सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग राजेश सिंह परिहार और जनपद पंचायत रामपुर नैकिन के सीओ तरुण कुमार सौंपी गई थी। जिन्होंने भोजन बांटने के लिए बसों को लंबे रूट में लाने को कहा जबकि गोविंदगढ़ होकर छुहिया घाटी से जाने का रास्ता ज्यादा सुगम और नजदीक है। लेकिन अधिकारियों ने अपने मनमाने तरीके से बसों को रीवा होकर मोहनिया टनल के पास बुलाया गया जबकि यह रास्ता दूरी में दोगुना दूर हो जाता है।
जिम्मेदार अधिकारियों ने अपने को परेशानी से बचाने के लिए पहले महाकुंभ में जाते समय बसों में खाने के पैकेट नहीं रखे और लौटते समय बसों मैं सवार लोगों को भोजन के पैकेट देने के लिए लंबे रूट पर बुलाया गया। शायद इस लंबे रूट पर बसों को न बुलाकर उन्हें गोविंदगढ़ होकर छुहिया घाटी होते हुए सुगम मार्ग और नजदीकी मार्ग अपनाया जाता तो शायद यह दुर्घटना नहीं होती। मरने वालों में सीधी जिले के चोभरा औऱ़ बांगड गांव के लोग शामिल थे।