वार्ड परिक्रमा: वार्ड नंबर 9 पुराना पड़ाव, शहर का माना जाता है बेहद अहम हिस्सा,जानिए क्या है खासियत

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कौशल विश्वकर्मा,9893833342
उमरिया (संवाद) नगर पालिका के द्वारा बनाए गए वार्डों और इनके नंबरों को छोड़ दें तो भी यह पूरा इलाका पुराना पड़ाव के नाम से जगजाहिर है  यहां के लोग ज्यादातर व्यवसाय और धंधे पर आधारित है। इसके अलावा नौकरी पेशा वाले लोग भी हैं। नगर पालिका के वार्ड नंबर 8, 9 और 6 का कुछ हिस्सा मिलाकर यह क्षेत्र पुराना पड़ाव में समाहित है। 
वार्ड नंबर 9 स्वामी महावीर वार्ड की बात करें तो यह वार्ड इस चुनाव में अनारक्षित किया गया है। इस वार्ड में कुल मतदाता 1359 हैं। इस पूरे क्षेत्र पुराना पड़ाव की बात करें तो अब यह मुख्यतः वार्ड क्रमांक 8 और 9 इसमे समाहित हैं। काफी समय पहले से यह वार्ड कांग्रेस पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। यहां से कोई भी कांग्रेसी पार्षद के चुनाव में खड़ा हो जाता तो उसकी जीत सुनिश्चित रहती थी।  इसके अलावा इसी पुराना पड़ाव से नगरपालिका के सर्वाधिक चेयरमैन बने हैं और काफी लंबे समय तक शासन किया है। इसी पुराना पड़ाव में एक महत्वपूर्ण घराना भी शामिल है जिसे बखरी के नाम से जाना जाता है। लगभग दो दशक से नगरपालिका में दो बार नरेंद्र प्रताप सिंह और एक बार उनकी पत्नी श्रीमती रुकमणी सिंह अध्यक्ष रही है। उसके बाद 2013 के नगरपालिका चुनाव में श्रीमती कंचन खट्टर ने कांग्रेस के अभेद किले में सेंध लगा दिया और पहली बार भाजपा पार्टी नगरपालिका में सत्तासीन हुई।

वार्ड नंबर 9 का भगौलिक परिदृश्य

नए परिसीमन के बाद इस पूरे पुराना पड़ाव को 2 भागो में विभाजित किया गया है। जिसमे एक वार्ड नंबर 8और दूसरा 9 नंबर स्वामी महावीर वार्ड कहलाता है। भगौलिक दृष्टि से वार्ड नंबर 9 गांधी चौक से शुरू होता है और एक छोर शाहा किराना है तो दूसरी ओर शिवालय होटल और यहीं से अंदर की ओर जाता है जिसमे बिनोवा मार्ग होकर दाहिने से स्व चिम्मन लाल की कपड़ा दुकान से होकर सुंदरलाल कक्का की आयुर्वेदिक दुकान, जैन,सिंघई परिवार, राममंदिर के बगल के कुछ एरिया मिलाकर मकरंद प्रसाद गुप्ता के घर होकर बाए और दाएं दोनों तरफ से होकर बहरा मैदान का पश्चिमी हिस्सा से दाहिने से उमरार नदी तक शामिल है।
वहीं शिवालय होटल से बाएं से होते हुए सोनू हार्डवेयर होकर लाल गोदाम से सीधे दोनों तरफ शम्भू लाल खट्टर के घर से लास्ट नदी तक शामिल है। वही पाली रोड तिराहे से बाएं गोपाल तिवारी के घर से होते हुए पुल तक शामिल है। परिसीमन के बाद भी यह वार्ड भगौलिक दृष्टि से और वोटरों की संख्या में काफी बड़ा है।

इस वार्ड का राजनीतिक परिदृश्य

 

यह वार्ड और पुराना पड़ाव का पूरा इलाका अपने आप में बड़ा ही महत्वपूर्ण है। यहां से स्वर्गीय रणविजय प्रताप सिंह (बाबू साहब) विधायक और मंत्री रहे हैं उसके बाद उनके पुत्र नरेंद्र प्रताप सिंह और अजय सिंह ने कमान संभाली थी  एक समय यह भी था कि जब नगरपालिका से लेकर विधायक और जिला पंचायत भी इसी बखरी से संचालित होते रहे हैं। जिसके बाद धीरे-धीरे समय ने करवट ली और बदलते समय के साथ पूरा राजनीतिक परिदृश्य बदल गया।
सन 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के ज्ञान सिंह ने अजय सिंह को करारी शिकस्त दी  वहीं जिला पंचायत और नगरपालिका के चेयरमैनी भी इनके हाथों से फिसलती चली गई।
सन 2013 में हुए नगर पालिका के चुनाव में भाजपा की कंचन खट्टर ने नगर पालिका के अध्यक्ष का चुनाव जीतकर कांग्रेस के गढ़ को ध्वस्त कर दिया, और नगर पालिका के इतिहास में पहली बार भाजपा का परचम लहरा दिया था। इतना ही नहीं सर्वाधिक 8 पार्षद भी भाजपा के चुनकर आए थे।

वर्तमान चुनाव में कैसी रहेगी यहां की स्थिति 

नगरीय निकाय के चुनाव में इस बार नए अध्यादेश से चुनाव संपन्न कराए जा रहे हैं, जिसमें इस बार अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से ना होकर पार्षदों के द्वारा चुना जाएगा। इसके कारण इस बार अध्यक्ष के दावेदार पहले पार्षद का चुनाव लड़ रहे हैं। वार्ड नंबर 9 आरक्षित वार्ड है इस वार्ड से भाजपा की श्रीमती कंचन खट्टर चुनावी मैदान में है तो वहीं कांग्रेस से बखरी के त्रिभुवन प्रताप सिंह चुनावी मैदान में है। चूंकि श्रीमती कंचन खट्टर निवर्तमान अध्यक्ष होते हुए पार्षद का चुनाव लड़ रही है इसलिए इस वार्ड का चुनाव बेहद अहम माना जा रहा है।
श्रीमती कंचन खट्टर के बारे में कहा जाता है कि जब वे 2013 के नगर पालिका में चेयरमैन का चुनाव जीता था और उसके बाद उनके द्वारा पूरे शहर का कायाकल्प किया गया। आज उमरिया शहर देखने लायक है, बड़े शहरों के जैसे डिवाइडर युक्त चौड़ी सड़कें, शहर को जगमगाती स्ट्रीट लाइटें, पुराने बस स्टैंड से शारदा कॉलोनी होकर घोड़ा लाइन, 9 नंबर कॉलोनी होकर बीएसएनल चौराहे तक शानदार सड़क और एलईडी लाइट लगवाई गई है। शहर के प्रमुख चौराहों का निर्माण, चिल्ड्रन पार्क का निर्माण, चौपाटी सहित पेयजल की उचित व्यवस्था प्रमुखता से करवाई गई है। विनोबा मार्ग, पाली रोड मार्ग इतने संकीर्ण थे कि एक गाड़ी निकलना मुश्किल था आज लोग फर्राटे से निकल रहे है। इसके पहले शहर की क्या स्थिति रही है सभी जानते हैं, बताने की जरूरत नहीं है।
इतना ही नहीं शहर के अंदर की बात छोड़कर उन मोहल्ले और वार्डों की बात करें जो शहर के सबसे किनारे थे जैसे छटन, भंगहा, लोहारगंज, लालपुर और जमुनिया जहां पहुंच मार्ग तक उपलब्ध नहीं था, लेकिन श्रीमती कंचन खट्टर के कार्यकाल में सीसी सड़क के माध्यम से सभी जगह पहुंच मार्ग, स्ट्रीट लाइट और पेयजल की व्यवस्था बनाई गई है।
हालांकि इस वार्ड 9 की तासीर मुख्य रुप से हमेशा कांग्रेस और भाजपा के बीच रही है। इसके पहले यहां से कांग्रेस का ही पार्षद विजय होता रहा है। लेकिन इस बार मुकाबला जबरदस्त होगा, क्योंकि अब वोटर जागरूक और होशियार है सभी प्रत्याशियों का आकलन कर ही वह अपना अंतिम निर्णय लेगा।

धार्मिक गतिविधियों में भी यह क्षेत्र है खास

 शहर भर में धार्मिक गतिविधियां भी इसी इलाके में संचालित होती रही हैं। यहां का रामलीला पूरे जिले में मशहूर रहा है। बहरा धाम में नवरात्रि उत्सव के दौरान लगभग 15 दिनों तक चलने वाला रामलीला अपने 100 वर्ष से ज्यादा का समय पूर्ण कर चुका है। श्री रघुराज मानस कला मंदिर के तत्वधान में यहां हर वर्ष प्रसिद्ध रामलीला का मंचन किया जाता है। जिसमें शहर के लोगों की भागीदारी और उपस्थिति होती है। इसके अलावा इस बहरा मैदान में राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जा चुका है।

इस चुनाव में जातिगत फैक्टर भी है अहम 

वैसे तो यह वार्ड और पुराना पड़ाव का यह पूरा इलाका शिक्षित होने के साथ-साथ बहुत जागरूक है। यहां पर वैश्य समाज बहुतायत में हैं वही सिंध समाज और सोनी समाज भी की संख्या निर्णायक है। इसके अलावा बर्मन,जैन और कचेर सहित अन्य समाज और जाति के लोग शामिल हैं। वैसे तो इस समय का वोटर देश,प्रदेश और अपने क्षेत्र, शहर और मोहल्ले के विकास और कामकाज के आधार पर प्रत्यासी का चयन कर अपना मत देता है लेकिन इस बार के नगर पालिका के चुनाव में जातिगत फैक्टर के भी कुछ आसार बनते दिखाई दे रहे है।
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