उमरिया (संवाद)। उमरिया नगर की जनता के लिए शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हेतु मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना के तहत 14. 70 करोड रुपए उमरिया नगर पालिका को दिए गए थे। जिसके लिए योजना बनाई गई की शहर के नजदीक उमरार डैम से पानी लाकर शहर में फिल्टर प्लांट के माध्यम से टंकियों में भेजा जाएगा जिसके बाद पाइपलइन के माध्यम से शुद्ध पेयजल शहर के मोहल्ले और घर-घर में पहुंचाया जाएगा। जिसके बाद नगर पालिका ने कार्य का टेंडर निकाला जिसमें एक्वा फिल पॉलीमर लिमिटेड गुजरात को इस कार्य का टेंडर मिला। लेकिन ठेका कंपनी ने काम ना करते हुए किसी एक अन्य एजेंसी को पेटी कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से यह काम को दे दिया गया। जिसके बाद पेटी कांटेक्टर ने प्रोजेक्ट इंजीनियर के रूप में काशिफ खान नाम के व्यक्ति को इस काम में तैनात कर दिया,और इस योजना के कार्य को प्रारंभ किया गया।
पूरे शहर की सड़के, नालियो, गलियों को खोदा गया टंकियां बनाई गई, पाइप लाइन बिछाए गए और लगभग यह काम 2 साल तक चला । फिर एक दिन यह बात सामने आई कि कार्य को पूरा कर लिया गया है। चूंकि प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और इस क्षेत्र के विधायक शिवनारायण सिंह भी भाजपा के हैं। इसलिए तय किया गया कि इसका शुभारंभ और लोकार्पण भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा किया जाना चाहिए।जिसके बाद यहां के विधायक, भाजपा नेता और जिला प्रशासन, नगर पालिका प्रशासन ने मिलकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के द्वारा मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना का लोकार्पण कराया गया लोकार्पण के बाद जब पेयजल की सप्लाई शुरू नहीं हुई तब जाकर शहर में हो-हल्ला मचने लगा कि अभी इस योजना का काम ही अधूरा है। इस प्रकार आज से लगभग साल भर पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को धोखे में रख आधी अधूरी योजना का लोकार्पण उनसे कराया गया।
इसमें सबसे मजे की बात यह कि इस आधी अधूरी योजना का शुभारंभ कराने के बाद कागजों में यह मान लिया गया कि इसका कार्य पूर्ण हो चुका है। इसके बाद 5 साल तक इस कार्य का मेंटेनेंस ठेका कंपनी के द्वारा किया जाना है। उसका समय भी शुरू हो चुका है और लाफ़भग 1 साल बीत रहे हैं। मतलब कार्य पूर्ण, लोकार्पण और मेंटेनेंस भी शुरू लेकिन इस योजना से पानी मिलना तो दूर बल्कि शहर प्यासा ही रहा है। इस कदर सभी जिम्मेदारों ने यह पूरा भ्रस्टाचार का खेल खेला है।
पानी में बहे 14.70 करोड़
मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना के तहत शहर में शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए मुख्यमंत्री के द्वारा नगर पालिका उमरिया को 14 .70 करोड रुपए दिए गए थे। जिसमें ठेका कंपनी ने इस योजना में भारी भ्रष्टाचार करते हुए घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जिसके चलते मोहल्लों और घरों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। जगह-जगह टूटे,फूटे पाइप से पानी यहां वहां बहता नजर आता है। वही इस कार्य को बिना पूरे हुए ही मुख्यमंत्री अंधेरे में रख इसका लोकार्पण करा दिया गया। लोकार्पण के बाद लगभग साल भर हो रहे हैं लेकिन आज भी पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है। इस कदर मुख्यमंत्री की सोच और पेयजल के लिए दिए गए लगभग 15 करोड रुपए नगरपलिका उमरिया ने पानी में बहा दिए।
प्रशासक,सीएमओ और ठेकेदार ने मिलकर किया भ्रष्टाचार
नगर पालिका परिषद के द्वारा मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना का टेंडर प्रक्रिया और कार्य प्रारंभ किया गया था तब परिषद में श्रीमती कंचन खट्टर नगर पालिका की अध्यक्ष रही है। जिसके बाद लगभग 1 वर्ष के बाद उनका कार्यकाल समाप्त हुआ था। जिसके कुछ दिन बाद नगर पालिका में प्रशासक के रूप में कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की नियुक्त हुई, इस दौरान भी सीएमओ शशि कपूर गढ़पाले मौजूद थे। इस बीच इन्हीं की निगरानी में यह कार्य चलता रहा और बिना कार्य पूर्ण हुए ही कागजों में पूरा कर लिया गया। जिसके बाद उन्होंने नेताओं से मिलकर मुख्यमंत्री को अंधेरे में रखकर इस आधे अधूरे कार्य का लोकार्पण करा दिया गया। इस बीच बकायदे ठेकेदार का भुगतान भी समय-समय पर किया जाता रहा है।
जानकारी के मुताबिक जिले के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की छवि एक ईमानदार अधिकारी के रूप में रही है, और यह बात सच भी है लेकिन नगरपालिका में उनके प्रशासक रहते यह सब हुआ जिसके बाद उनके ऊपर भी अब भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे हैं। इसके बाद भी अगर कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के ईमानदार होने की बात की जाए तो फिर उन्होंने घटिया सामग्री से किए गए कार्य,कागजो में कार्य पूर्ण होने और मुख्यमंत्री को धोखे में रख आधे अधूरे कार्य का लोकार्पण कराने वाले दोषियों पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई? और इस कार्य में सीधे जिम्मेदार संबंधित ठेकेदार, इंजीनियर और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों, कर्मचारियों पर एफ आई आर दर्ज क्यों नहीं कराई गई?
पानी तो मिला नहीं पर शहर को कर दिया बर्बाद
शहर के लोगों का मानना है कि मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना के तहत शहर के लोगों को पानी नहीं मिला और ना ही मिलने की उम्मीद है। क्योंकि मोहल्लों में पानी पहुंच ही नहीं पा रहा है। रास्ते में ही फटे पाइपों और घटिया किस्म की सामग्री के कारण पानी इधर,उधर बह जाता है। लेकिन पूरे शहर में सड़कों और नालियों को खोदकर पूरे शहर को बर्बाद जरूर कर दिया गया है। इतना ही नहीं इसके कार्य में खुदाई के कारण पुरानी पेयजल की व्यवस्था भी बिगड़ गई। जिससे शहर के कई वार्डों में पानी की समस्या उत्पन्न हो गई थी। आज भी कई वार्डों में पुरानी पाइप लाइन के माध्यम से पुरानी पेयजल व्यवस्था से पानी सप्लाई किया जा रहा है।
बहरहाल नगरपालिका के इंजीनियर, सीएमओ, ठेकेदार और उसके प्रोजेक्ट इंजीनियर काशिफ खान सहित जिम्मेदारों पर क्या कार्यवाही की जाती है। इसके अलावा अपने ईमानदार होने और भ्रष्टाचार के लगे दाग को मिटाने कलेक्टर क्या कार्यवाही करते हैं, यह देखना बाकी है।