स्मार्ट सिटी सतना की अंधेरगर्दी
टैंकर से हुई सड़क की धुलाई
फिरोज़ खान बागी ✍️
सतना (संवाद) गर्मी की आहट सुनते ही नदी तालाब कुआ सूखने लगे हैं और पहाड़ी क्षेत्रों में लोग बूंद बूंद पानी के लिए जद्दो जहद करने में जुट गए हैं। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री के स्वागत के लिए लाखों गैलन पानी सड़क पर बहाए दिए गए।
दरअसल सतना लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी गणेश सिंह का नामांकन पत्र दाखिल कराने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव बुधवार 3 अप्रैल को सतना पहुंचे । लिहाजा जहां-जहां से मुख्यमंत्री का काफिला गुजरना था वहां की साफ सफाई में नगर निगम अमला जुट गया। हद तो तब हो गई जब मुख्यमंत्री के स्वागत के लिए नगर निगम सतना द्वारा सड़कों की सफाई के नाम पर लाखों गैलन पानी सड़क पर बहा दिए गए । इसके लिए नगर निगम द्वारा पानी के टैंकर से बाकायदा सड़कों की धुलाई कराई गई जिसमें लगभग 15 से 20 टैंकर पानी खर्च हो गया।
जल संरक्षण चुनावी मुद्दा क्यों नहीं
सबसे पहला सवाल यह उठता है कि आखिर धर्म, जाति, मंदिर और मस्जिद के नाम पर वोट मांगने वाले राजनीतिक दलों ने जल संरक्षण को चुनावी मुद्दा क्यों नहीं बनाया । दूसरा सवाल यह है कि आख़िर नेताओं के स्वागत सत्कार के लिए सड़कों की धुलाई के नाम पर इस तरह लाखों लीटर पानी फिजूल बहा देना कितना उचित है।
एक बूंद पानी की कीमत
बोतल बंद मिनरल वाटर पीने वाले नेता और अधिकारी शायद ही एक बूंद पानी की कीमत समझ सके। पानी की असली कीमत तो उन ग्रामीणों से जाकर पूछो जो कई किलोमीटर दूर से पानी ढोकर लाने को मजबूर हैं। जिन्हें पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा है। या उन पशु पलकों से पूछो जिनके पशु पानी न मिलने के कारण प्यास से दम तोड़ रहे हैं।
पेयजल संकट से जूझते गांव
सतना जिले की बात करें तो जिले के खाम्हा, खूजा समेत चित्रकूट विधानसभा में दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां आज भी पेयजल के लिए ग्रामीणों को पानी उपलब्ध नहीं है मझगवां क्षेत्र के पटनी गांव में एक ही गड्ढे से मवेशी और ग्रामीण पानी पीते हैं। लेकिन इन सब बातों की न तो मुख्यमंत्री मोहन यादव को चिंता है और ना ही सतना जिले के आला अधिकारियों को इसकी परवाह है। यही कारण है कि जिस पानी की बूंद बूंद के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं उस पानी से स्मार्ट सिटी सतना के अधिकारी सड़क की धुलाई कर रहे हैं।
दम तोड़ते जलस्रोत
सतना जिले के चित्रकूट में बहने वाली मंदाकिनी नदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है जिसका पानी प्रदूषित हो चुका है। सतना से 10 किलोमीटर दूर माधवगढ़ से होकर गुजरने वाली तमस नदी गर्मी आने से पहले ही सूख चुकी है और सतना की जीवनदायनी मानी जाने वाली सतना नदी कूड़ा करकट और गंदगी से पटी पड़ी है। लेकिन इन नदियों जल स्रोतों के संरक्षण और इन्हें पुनर्जीवित करने के लिए सरकार के पास या सतना जिले के आला अधिकारियों के पास ना तो कोई योजना है और ना ही कोई अमल है।