मानपुर (संवाद)। बीते रविवार को उमरियाजिले के मानपुर थाना अंतर्गत ग्राम कछौन्हा में भारी मात्रा में अवैध नशीला पदार्थ गांजा पकड़े जाने के बाद कार्यवाही के दौरान आखिर मानपुर थाने के टीआई सुंद्रेश सिंह मरावी क्यों भड़क गए। क्या उनकी कार्यवाही में कोई झोल रहा है और इसकी जानकारी कुछ लोगों को लग गई जिसके बाद उन्हें उल्टे पांव असली कार्यवाही करनी पड़ गई।
दरअसल मानपुर के ग्राम कछौन्हा में रविवार को 40 किलो के करीब अवैध मादक पदार्थ गांजा पकड़ने में पुलिस ने महत्वपूर्ण सफलता हासिल की थी। लेकिन इसकी जानकारी ना तो रविवार को और ना ही सोमवार को आम हो पाई थी। जिस कारण इस मामले में पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठने लगे थे। देर रात जिले के कुछ प्रमुख मीडिया के व्हाट्सएप ग्रुप में पुलिस कार्यवाही पर महज संदेह व्यक्त किया गया था। जिसके तुरंत बाद मानपुर थाने के टीआई सुंदरेष सिंह मरावी बौखला गए। उनके द्वारा मामले की जानकारी देना तो दूर बल्कि वह अनाप-शनाप लिखकर उस संदेह की पुष्टि मांगने लगे इतना ही नहीं उनके ही कुछ लोगों के द्वारा भला बुरा भी लिखा गया।
इस मामले में आज मंगलवार को दोपहर 1:00 जिले के पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार सिन्हा के द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पूरे मामले को पत्रकारों के सामने लाया गया जिसमें पुलिस के द्वारा की गई कार्यवाही पर कहीं भी कोई संदेश नहीं दिखाई दिया। गांजा के अवैध व्यापार और परिवहन में शामिल 4 लोगों को पुलिस ने आरोपी बनाया है। जिसमें गांजा सहित परिवहन में उपयुक्त मोटरसाइकिल को भी जप्त किया है। इस पूरे मामले में पुलिस की कार्यवाही पर किसी भी प्रकार का कोई संदेह समझ नहीं आता। पुलिस की कार्यवाही निष्पक्ष और सराहनीय रही है।
लेकिन इस मामले में बड़ा सवाल यह कि इस पूरे मामले को 2 दिनों तक पूरी तरीके से दबाया गया। पुलिस के इसी रवैए के चलते इस कार्यवाही में पुलिस की कार्यशैली पर संदेह व्यक्त किया गया था। जिस पर मानपुर थाने के टीआई के द्वारा जवाब देना तो दूर उल्टे बौखला गए और जमकर अपनी भड़ास निकाली। इतना ही नहीं उनके द्वारा अपने ही लोगों के माध्यम से भी मीडिया के व्हाट्सएप ग्रुप में अनाप-शनाप लिखवाया गया।
सभी जानते हैं जिस तरीके से पुलिस के अपने सूत्र या मुखबिर होते हैं उसी तरीके से पत्रकारों के भी मुखबिर होते हैं। जो किसी भी घटना या क्राइम के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराते हैं। कई बार जो जानकारी पुलिस को नहीं मिल पाती है वह पत्रकारों के माध्यम से सामने आती है, या कुछ पुलिसकर्मियों के द्वारा कुछ गड़बड़ी भी की जाती है तो वह भी सामने आ जाती है। कभी कभार जानकारियां सच्चाई से थोड़ा दूर भी होती है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप इस बात से किसी को अनर्गल शब्दों का प्रयोग करने लग जाए। जबकि कार्यवाही या मामले की जानकारी देना आपकी जवाबदेही है ना कि बौखलाकर व्हाट्सएप ग्रुप में अनाप-शनाप लिखने की।