बारिश ने निकाली रावण के गले की हड्डी,रावण दहन से पहले बारिश ने रावण के अहंकार को किया पानी पानी

Editor in cheif
3 Min Read
MP, उमरिया (संवाद)। शारदेय नवरात्रि के नवमी तिथि और रावण के पुतले दहन के एक दिन पहले आई बारिश ने जलने के लिए बनकर तैयार खड़े रावण के अहंकार को बारिश ने पानी पानी कर दिया। वहीं बारिश के कारण रावण के पुतले की गले की हड्डी बाहर आ गई। इसके अलावा कई जगहों पर रावण का हाथ टूट गया तो कही उसका सिर लटक गया है।

Contents
MP, उमरिया (संवाद)। शारदेय नवरात्रि के नवमी तिथि और रावण के पुतले दहन के एक दिन पहले आई बारिश ने जलने के लिए बनकर तैयार खड़े रावण के अहंकार को बारिश ने पानी पानी कर दिया। वहीं बारिश के कारण रावण के पुतले की गले की हड्डी बाहर आ गई। इसके अलावा कई जगहों पर रावण का हाथ टूट गया तो कही उसका सिर लटक गया है।दरअसल शारदेय नवरात्रि में जहां देशभर में 9 दिनों तक जगत जननी दुर्गा माता और मां काली की स्थापना कर पूरे 9 दिनों तक विशेष पूजा अर्चना की जाती है। वहीं दसवीं के दिन माता का विसर्जन बड़े धूमधाम से किया जाता है।इसके बाद इसी दिन अहंकार रूपी रावण के पुतले का दहन कर विजयादशमी भी मनाई जाती है।गौरतलब है कि धर्म शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण नामक राक्षस का वध किया था।तब से लेकर आज तक विजयादशमी के दिन रावण का पुतला बनाकर लोग दहन करते आ रहे है। इसके अलावा नवरात्रि के पहले दिन से जहां मां जगदम्बा की पूजा शुरू होती है उसी दिन से रामलीला के माध्यम से भगवान श्रीराम की लीला भी प्रारम्भ होती है।लगातार 10 दिवस तक चलने वाले रामलीला में भगवान श्रीराम की विभिन्न लीलाओं वर्णन किया जाता है।जिसमे उन्होने के कई राक्षसों का वध किया और आखिरी में सबसे बड़े अहंकारी राक्षस रावण का वध किया था।विजयादशमी के दिन जहां दुर्गा माता का विसर्जन किया जाता है वही इसी दिन अहंकारी राक्षस रावण का वध रामलीला में भगवान श्रीराम के द्वारा किया जाता है और फिर उसके पुतले का दहन किया जाता है। जिसमे रावण के पुतले का निर्माण भी कलाकारों के द्वारा सप्ताह भर पहले से शुरू कर दिया जाता है। जिसके एक दिन पहले रावण का पुतला जलने के लिए एक दिन पहले तैयार कर लिया जाता है। लेकिन इस बार नवमी के दिन अचानक आये  मानसून रावण को जमकर भिगोया है। जिससे बारिश के पानी से रावण के अहंकार को धो डाला है।वही तेज बारिश के कारण कटनी जिले के कैमोर में मनाए जाने वाले ऐतिहासिक दशहरा जिसमे 40 फिट के रावण के पुतले की गले की हड्डी बाहर आ गई।इसके अलावा जहां जहां बारिश हुई है। वहां वहां रावण के अहंकार को तो पानी पानी किया ही है। इसके अलावा कई जगह रावण के शरीर से कही हाथ टूटा तो कही उसका सिर लटक गया है।हालांकि बारिश थमने के बाद एक बार फिर लोंगो और कलाकारों के द्वारा रावण के पुतले को ठीक किया जा रहा है जिससे आज शाम रात उसका दहन किया जा सके।
दरअसल शारदेय नवरात्रि में जहां देशभर में 9 दिनों तक जगत जननी दुर्गा माता और मां काली की स्थापना कर पूरे 9 दिनों तक विशेष पूजा अर्चना की जाती है। वहीं दसवीं के दिन माता का विसर्जन बड़े धूमधाम से किया जाता है।इसके बाद इसी दिन अहंकार रूपी रावण के पुतले का दहन कर विजयादशमी भी मनाई जाती है।
गौरतलब है कि धर्म शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण नामक राक्षस का वध किया था।तब से लेकर आज तक विजयादशमी के दिन रावण का पुतला बनाकर लोग दहन करते आ रहे है। इसके अलावा नवरात्रि के पहले दिन से जहां मां जगदम्बा की पूजा शुरू होती है उसी दिन से रामलीला के माध्यम से भगवान श्रीराम की लीला भी प्रारम्भ होती है।लगातार 10 दिवस तक चलने वाले रामलीला में भगवान श्रीराम की विभिन्न लीलाओं वर्णन किया जाता है।जिसमे उन्होने के कई राक्षसों का वध किया और आखिरी में सबसे बड़े अहंकारी राक्षस रावण का वध किया था।

विजयादशमी के दिन जहां दुर्गा माता का विसर्जन किया जाता है वही इसी दिन अहंकारी राक्षस रावण का वध रामलीला में भगवान श्रीराम के द्वारा किया जाता है और फिर उसके पुतले का दहन किया जाता है। जिसमे रावण के पुतले का निर्माण भी कलाकारों के द्वारा सप्ताह भर पहले से शुरू कर दिया जाता है। जिसके एक दिन पहले रावण का पुतला जलने के लिए एक दिन पहले तैयार कर लिया जाता है। लेकिन इस बार नवमी के दिन अचानक आये  मानसून रावण को जमकर भिगोया है। जिससे बारिश के पानी से रावण के अहंकार को धो डाला है।
वही तेज बारिश के कारण कटनी जिले के कैमोर में मनाए जाने वाले ऐतिहासिक दशहरा जिसमे 40 फिट के रावण के पुतले की गले की हड्डी बाहर आ गई।इसके अलावा जहां जहां बारिश हुई है। वहां वहां रावण के अहंकार को तो पानी पानी किया ही है। इसके अलावा कई जगह रावण के शरीर से कही हाथ टूटा तो कही उसका सिर लटक गया है।हालांकि बारिश थमने के बाद एक बार फिर लोंगो और कलाकारों के द्वारा रावण के पुतले को ठीक किया जा रहा है जिससे आज शाम रात उसका दहन किया जा सके।
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *