बांधवगढ़: कबीर मेला पर पार्क प्रवेश की प्रबंधन ने दी अनुमति,श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में रायतेबाज ने लाखों लोंगो की आस्था पर पहुंचाई थी चोंट

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उमरिया/बांधवगढ़ (संवाद)। जिले के ऐतिहासिक बांधवगढ़ में 7 दिसंबर को कबीर मेले का आयोजन और किला में स्थित कबीर गुफा चबूतरा तक प्रवेश की अनुमति बांधवगढ़ प्रबंधन ने दी है। इसके पहले जिले के एक रायतेबाज ने भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव,जन्माष्टमी के अवसर पर किला के ऊपर स्थित राम जानकी मंदिर के दर्शन करने पर रोक लगाते हुए भगवान श्रीकृष्ण के लाखों- करोड़ों भक्तों की आस्था पर चोंट भर पहुंचाई बल्कि उसके द्वारा यहां की सदियों पुरानी परंपरा को भी खत्म करने का पूरा प्रयास किया था।
दरअसल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के भीतर स्थित किला में सदियों से राम जानकी का मंदिर स्थापित है जहां साल में एक बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के भक्त राम जानकी मंदिर पहुंचते हैं और पूजा अर्चना कर वापस लौट आते हैं। इस दिन बांधवगढ़ प्रबंधन के द्वारा आम भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क यह प्रवेश दिए जाने के साथ उनकी सुरक्षा और देखरेख की भी बखूबी जिम्मेदारी निभाता रहा है। लेकिन इस वर्ष बांधवगढ़ प्रबंधन के द्वारा एक साजिश के तहत जिले में पदस्थ एक रायतेबाज गुमराह करते हुए उन तमाम लाखों-करोड़ों श्री कृष्ण के भक्तों और श्रद्धालुओं को ना सिर्फ उनके इष्ट भगवान के दर्शन करने से रोका गया बल्कि सदियों से चली आ रही पूर्वजों की परंपरा को भी खत्म करने का प्रयास किया है।

जंगली हांथियो सहित जानवरों का दिया गया हवाला
बाँधवगढ़ प्रबंधन के द्वारा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के आयोजन को लेकर एक साजिश रची गई। जिसमें किला जाने के रास्ते मे जंगली हाथी होने की झूठी बात कहकर दर्शनार्थियों की जान का खतरा बताकर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के आयोजन को खत्म करने का जिम्मा तात्कालिक कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव को दे दिया। फिर क्या तात्कालिक कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव तो जिले को नष्ट करने और जिले वासियों की सदियों पुरानी परंपरा और उनके आस्था से खिलवाड़ करने का जिम्मा ले रखे थे। मौका पाते ही वह दर्शनार्थियों को रोकने जिलेभर का पुलिस बल लगा दिया और स्वयं रात और दिन डटे रहे और आम जनता से भिड़ते रहे हैं। लेकिन अब उनको यहां से हटाने के बाद धीरे-धीरे उमरिया जिला पटरी पर आ रहा है और उनके द्वारा खत्म की गई व्यवस्थाएं पुनः सुचारू रूप से शुरू हो रही हैं।
कबीर मेले को भी रोकना चाहता था रायतेबाज 
तात्कालिक कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के द्वारा बांधवगढ़ का जन्माष्टमी मेला भर नहीं रोकना चाहते थे बल्कि वह कबीर गुफा तक जाने वाले दर्शनार्थियों को भी रुकना चाहते थे जन्माष्टमी के दौरान श्रद्धालुओं के द्वारा किए जा रहे विरोध के दौरान जब यह बात सामने आई थी कि जन्माष्टमी के बाद दिसंबर माह में कबीर मेला का आयोजन होता है जिसमे कबीर के अनुयायी हजारों की तादात में बांधवगढ़ पहुंचते है। तब संजीव श्रीवास्तव के द्वारा यह कहते हुए सैकड़ों लोगों ने सुना था कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी ही नही, बल्कि कबीर मेला और कबीर गुफा के दर्शन को भी पूरी तरीके से बंद किया जाएगा।
लेकिन यहां पर सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या उमरिया जिले की मान्यताओं और उनकी परंपराओं को यूं ही किसी के द्वारा कुठाराघात किया जाता रहेगा ? क्या इसे बचाने जिले के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और समाज के ठेकेदारों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। इसके अलावा हिंदू धर्म और अपने आप को सनातनी कहने वाले ऐसे कई हिंदू संगठन के द्वारा किसी एक के द्वारा हम सभी के आराध्य श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को मनाने से रोकने वाले और हमारी सदियों पुरानी परंपरा को बंद करने वाले का विरोध क्यों नहीं किया गया ?

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