बाँधवगढ़ 2010:आखिर कौन नही चाहता था बाघिन की मौत की सीबीआई जांच? तत्कालीन केंद्रीय वनमंत्री जयराम रमेश ने किया था रिकमंड

Editor in cheif
5 Min Read
Bandhavgarh (संवाद)। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की मशहूर झुरझुरा वाली बाघिन कि वाहन की ठोकर से हुई मौत के बाद मामले की जांच की जा रही थी इस दौरान जिला पंचायत सीईओ अक्षय कुमार सिंह जनपद सीईओ केके पांडे बांधवगढ़ के रेंजर ललित पांडे के अलावा मंत्री पुत्रों के नाम खुलकर सामने आए थे हालांकि प्रबंधन मंत्री पुत्रों को जांच के दायरे में नहीं लिया और उन्हें जानबूझकर बचाने के प्रयास में जुटा रहा। समय बीता जा रहा था इस दौरान जिला पंचायत के सीईओ जिस वाहन से बांधवगढ़ के अंदर गए थे उस वाहन की जांच भी नहीं कराई और उसे रातों-रात जबलपुर भेज करके उसकी डेंटिंग पेंटिंग कराने की भी जानकारी उस समय मिली थी,लगातार जांच का शिकंजा कसता जा रहा था इसी बीच हुआ आनन-फानन में अपना ट्रांसफर कराकर यहां से रवाना हो गए।
बात 30 मई और 1 जून 2010 की है जब राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण के अधिकारी और वरिष्ठ IFS राजेश गोपाल बांधवगढ़ पहुंचे हुए थे। वह 2 दिनों तक झुरझुरा वाली बाघिन की मौत के मामले में सघन जानकारी और सभी बिंदुओं को बखूबी जानकर एक रिपोर्ट तैयार की थी। यहां से जाने के बाद वह 20 जून 2010 के आसपास उस रिपोर्ट को केंद्रीय वन मंत्री जयराम रमेश को सौंपी थी। जिसमें झुरझुरा वाली बाघिन की मौत मामले को हाईप्रोफाइल बताते हुए सीबीआई जांच कराने की सलाह दी गई थी। एनटीसीए के अधिकारी राजेश गोपाल अपने रिपोर्ट में लिखा कि 18-19 मई को झुरझुरा वाली बाघिन की मौत वाहन की ठोकर लगने से उसकी पसलियां टूट जाने से मौत हुई है। इस मामले में उमरिया जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा मंत्री पुत्रों के नाम सामने आए हैं। इतने बड़े बड़े अधिकारी और मंत्रियों के बेटे का नाम आने से यह पूरा मामला हाईप्रोफाइल हो गया है और बांधवगढ़ प्रबंधन के लिए जांच कर पाना मुमकिन नहीं है। उनके ऊपर भारी दबाव आ रहा है इस कारण इस पूरे मामले की सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए।
एनटीसीए के अधिकारी और वरिष्ठ आईएफएस राजेश गोपाल की रिपोर्ट और उसकी सिफारिशों को पढ़ने और विचार करने के बाद केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने सीबीआई जांच कराने के लिए पत्र लिख दिया। इस बीच इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी प्रदेश शासन के मंत्री और मामले में संदेही अधिकारियों को हुई और उन्होंने सीबीआई जांच करान से रोकने में षड्यंत्र रचना शुरू कर दिया। केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश के द्वारा सीबीआई के जांच वाले रिकमंड पत्र से पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया और बाघिन की मौत मामले में मंत्री के बेटे और अधिकारियों के आए नाम वाले लोगों में खलबली मच गई। उनके द्वारा इस बात का पूरा प्रयास किया जाने लगा कि इस मामले की सीबीआई जांच ना होने पाए अगर सीबीआई जांच हुई तो पूरा मामला सामने आ जाएगा और फिर कोई भी नहीं बच पाएगा।
चूंकि मामले में मंत्री पुत्र और अधिकारियों के नाम सामने आए थे। इस कारण अपने अपने सोर्स और सिफारिश से मध्य प्रदेश सरकार को इस बात के लिए राजी कर लिया की फिलहाल सीबीआई जांच कराने से रोक देते हैं। पहले कुछ महीनों तक तो मामले में टाल मटोल चलता रहा बाद में शासन ने सीबीआई जांच को रोकने एसटीएफ (सीआईडी) जांच कराई जानी चाहिए। इस तरह प्रदेश शासन ने केंद्रीय वन मंत्री जयराम रमेश के पत्र को दरकिनार करते हुए सीआईडी जांच कराने का फैसला कर लिया।
यह पूरा मामला सीआईडी के पास जाने के बाद कई महीनों तक कार्यवाही बिल्कुल शून्य रही है।लंबा समय गुजरने के बाद आखिरकार सीआईडी ने जांच प्रारंभ की। कई बार बांधवगढ़ भी एसटीएफ (सीआईडी) की टीम पहुंची थी जिसमें उनके द्वारा कई लोगों के बयान दर्ज किए गए थे। सीआईडी के द्वारा चार ड्राइवरों के नाम नारकोटिक टेस्ट के लिए तय किया गया। जिसमें भी अभी तक 2 ही लोंगो की जांच हो पाई है जिसमें वनकर्मी ड्राइवर मानसिंह और सीईओ अक्षय कुमार सिंह के ड्राइवर पंकज विश्वकर्मा की जांच कराई गई। शेष दो अन्य की जांच और टेस्ट अभी तक नहीं हो पाया है। वहीं सीआईडी के द्वारा बीते 10 वर्षों में कितनी जांच और क्या जांच हो पाई है और उसका नतीजा क्या रहा है इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी है?
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *