बाँधवगढ़ के तत्कालीन डायरेक्टर सीके पाटिल को 3 साल की सजा, एसडीओ रेंजर को 6 महीने की सजा,व्यवहार न्यायालय मानपुर ने सुनाई सजा

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उमरिया (संवाद)। बांधवगढ़ की मशहूर झुरझुरा वाली बाघिन से जुड़े एक मामले में मानपुर व्यवहार न्यायालय ने सजा सुनाई है जिसमें बांधवगढ़ के तत्कालीन डायरेक्टर और वर्तमान में प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल सीके पाटिल, एसडीओ डीसी घोरमारे, रेंजर त्रिपाठी और रेंजर रेगी रांव को सजा सुनाई गई।
दरअसल सन 2011-12 में बांधवगढ़ की मशहूर  झुरझुरा वाली नामक बाघिन की संदिग्ध मौत के मामले में तत्कालीन डायरेक्टर सीके पाटिल और उनकी टीम के द्वारा प्रमुख गवाह और जानकार के तौर पर बांधवगढ़ में कार्यरत कर्मचारी मानसिंह के माध्यम से किसी अन्य दूसरे लोगों को फंसाने के लिए रचना रची जा रही थी। जिसमें प्रबंधन के द्वारा  कर्मचारी मानसिंह के ऊपर भारी दबाव बनाते हुए उसे उनके बताए अनुसार लोगों को फसाने के लिए दबाव दिया जा रहा था। इस दौरान मानसिंह को उसके घर में बिना बताएं या किसी जानकारी के उसको गोपनीय तरीके से बंदी बनाकर कई दिनों तक रखा गया था।
कर्मचारी मान सिंह का जब कुछ दिनों तक पता नहीं चला तब उसकी पत्नी के द्वारा उमरिया कलेक्टर के पास पहुंचकर उसके पति को ढूंढने की गुहार लगाई थी जिसके बाद कलेक्टर के हाथों से उसे यह बात सामने आई कि बांधवगढ़ प्रबंधन के अधिकारी उसे बाघिन की मौत के मामले में कहीं छुपा कर रखा है इसके बाद उसकी पत्नी ने हाईकोर्ट में भी अपने पति को प्रबंधन के द्वारा बंदी बनाए जाने के के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण नियम के तहत आरोप लगाया था जिस पर हाईकोर्ट ने भी उसके पक्ष में फैसला दिया था।

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उमरिया (संवाद)। बांधवगढ़ की मशहूर झुरझुरा वाली बाघिन से जुड़े एक मामले में मानपुर व्यवहार न्यायालय ने सजा सुनाई है जिसमें बांधवगढ़ के तत्कालीन डायरेक्टर और वर्तमान में प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल सीके पाटिल, एसडीओ डीसी घोरमारे, रेंजर त्रिपाठी और रेंजर रेगी रांव को सजा सुनाई गई।दरअसल सन 2011-12 में बांधवगढ़ की मशहूर  झुरझुरा वाली नामक बाघिन की संदिग्ध मौत के मामले में तत्कालीन डायरेक्टर सीके पाटिल और उनकी टीम के द्वारा प्रमुख गवाह और जानकार के तौर पर बांधवगढ़ में कार्यरत कर्मचारी मानसिंह के माध्यम से किसी अन्य दूसरे लोगों को फंसाने के लिए रचना रची जा रही थी। जिसमें प्रबंधन के द्वारा  कर्मचारी मानसिंह के ऊपर भारी दबाव बनाते हुए उसे उनके बताए अनुसार लोगों को फसाने के लिए दबाव दिया जा रहा था। इस दौरान मानसिंह को उसके घर में बिना बताएं या किसी जानकारी के उसको गोपनीय तरीके से बंदी बनाकर कई दिनों तक रखा गया था।कर्मचारी मान सिंह का जब कुछ दिनों तक पता नहीं चला तब उसकी पत्नी के द्वारा उमरिया कलेक्टर के पास पहुंचकर उसके पति को ढूंढने की गुहार लगाई थी जिसके बाद कलेक्टर के हाथों से उसे यह बात सामने आई कि बांधवगढ़ प्रबंधन के अधिकारी उसे बाघिन की मौत के मामले में कहीं छुपा कर रखा है इसके बाद उसकी पत्नी ने हाईकोर्ट में भी अपने पति को प्रबंधन के द्वारा बंदी बनाए जाने के के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण नियम के तहत आरोप लगाया था जिस पर हाईकोर्ट ने भी उसके पक्ष में फैसला दिया था।इधर मान सिंह को बाँधवगढ़ प्रबंधन जांच के नाम पर लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था प्रबंधन के द्वारा द्वारा बनाये गए मनगढंत के रूप में तत्कालीन जिला पंचायत उमरिया के सीईओ अक्षय कुमार सिंह,तत्कालीन सीईओ मानपुर डॉ केके पाण्डेय सहित अन्य आरोपी बनाए गए थे। प्रबंधन के द्वारा इस मामले में मान सिंह का नारकोटिक्स टेस्ट भी कराया था।हालांकि बाद में इस मामले में एसटीएफ की टीम भी जांच करके प्रतिवेदन सरकार को सौंपा है।इस मामले परिवाद कर्ता मान सिंह के वकील एडवोकेट अशोक वर्मा ने बताया कि बांधवगढ़ प्रबंधन के द्वारा मान सिंह को बंदी बनाए जाने और झूठी गवाही दिए जाने का दबाव बनाने को लेकर न्यायालय में परिवाद पेश किया था। जिसमें न्यायालय ने सभी तर्कों का अवलोकन करते हुए परिवाद को स्वीकार किया और धारा 195 (A)  और 342 के तहत मामला पंजीबद्ध किया। सन 2012 से व्यवहार न्यायालय मानपुर में लगातार सुनवाई चल रही थी। जिसमे आज शुक्रवार को कोर्ट के द्वारा फैसला सुनाया गया है। जिसमें बांधवगढ़ के तत्कालीन डायरेक्टर और वर्तमान में प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल सी के पाटिल को 3 साल की सजा और 5000 का जुर्माना लगाया है। वही उनके सहयोगियों को जिसमें एसडीओ डीसी घोरमारे रेंजर श्री त्रिपाठी और रेंजर रेगी राव को 6 माह की सजा और ₹500 का जुर्माना लगाया है।
इधर मान सिंह को बाँधवगढ़ प्रबंधन जांच के नाम पर लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था प्रबंधन के द्वारा द्वारा बनाये गए मनगढंत के रूप में तत्कालीन जिला पंचायत उमरिया के सीईओ अक्षय कुमार सिंह,तत्कालीन सीईओ मानपुर डॉ केके पाण्डेय सहित अन्य आरोपी बनाए गए थे। प्रबंधन के द्वारा इस मामले में मान सिंह का नारकोटिक्स टेस्ट भी कराया था।हालांकि बाद में इस मामले में एसटीएफ की टीम भी जांच करके प्रतिवेदन सरकार को सौंपा है।
इस मामले परिवाद कर्ता मान सिंह के वकील एडवोकेट अशोक वर्मा ने बताया कि बांधवगढ़ प्रबंधन के द्वारा मान सिंह को बंदी बनाए जाने और झूठी गवाही दिए जाने का दबाव बनाने को लेकर न्यायालय में परिवाद पेश किया था। जिसमें न्यायालय ने सभी तर्कों का अवलोकन करते हुए परिवाद को स्वीकार किया और धारा 195 (A)  और 342 के तहत मामला पंजीबद्ध किया। सन 2012 से व्यवहार न्यायालय मानपुर में लगातार सुनवाई चल रही थी। जिसमे आज शुक्रवार को कोर्ट के द्वारा फैसला सुनाया गया है। जिसमें बांधवगढ़ के तत्कालीन डायरेक्टर और वर्तमान में प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल सी के पाटिल को 3 साल की सजा और 5000 का जुर्माना लगाया है। वही उनके सहयोगियों को जिसमें एसडीओ डीसी घोरमारे रेंजर श्री त्रिपाठी और रेंजर रेगी राव को 6 माह की सजा और ₹500 का जुर्माना लगाया है।
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