भोपाल (संवाद)। मध्यप्रदेश में एक बार फिर शिवराज सरकार आदिवासियों को साधने के लिए एक विशाल आदिवासी सम्मेलन करने जा रही है। जिसमें प्रदेशभर से एक लाख से ज्यादा लोगों के पहुंचने की तैयारी है।
जानकारी के मुताबिक इस विशाल आदिवासी सम्मेलन में देश के गृहमंत्री अमित शाह के शामिल होने की खबर है। जिसको लेकर तैयारियां जोर शोर से प्रारंभ कर दी गई है।
दरअसल 22 अप्रैल को प्रदेश सरकार तेंदूपत्ता संग्राहक वनोपज समिति के तत्वाधान में विशाल आदिवासी सम्मेलन करने जा रही है। जिनमे भारत के गृह मंत्री अमित शाह शिरकत करेंगे। जहां आयोजन को लेकर करीब 10 दिन से भोपाल के जंबूरी मैदान में तैयारियां चल रही हैं। वनोपज समिति तेंदूपत्ता संग्राहक सम्मेलन में एक लाख से ज्यादा आदिवासी समुदाय के लोगों के पहुंचने की तैयारी है। तेंदूपत्ता संग्राहकों को प्रत्येक जिले से लाने के लिए लगभग 500 बसों का इंतजाम किया जा रहा है। इसके अलावा भी अन्य साधन भी उपयोग किए जाएंगे। इसके अलावा बीजेपी पार्टी के प्रत्येक जिले से पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं की भी बड़ी तादाद पहुंचने की उम्मीद है। भोपाल के जंबूरी मैदान में पिछले 10 दिनों से तैयारियां प्रारंभ हैं जिसमें टेंट मंच सहित एलईडी की व्यवस्था कराई जा रही है। भीषण गर्मी को देखते हुए कूलर और पंखों की ज्यादा से ज्यादा उपलब्धता रहे यह भी ध्यान दिया जा रहा है।
गृह मंत्री अमित शाह तेंदूपत्ता संग्राहको के सम्मेलन में शामिल होने 22 अप्रैल को पहले स्टेट हैंगर पहुंचेंगे जहां से हेलीकॉप्टर के द्वारा कान्हा साया केंद्रीय पुलिस प्रशिक्षण अकादमी जाएंगे जहां पर पुलिस साइंस कांग्रेस का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद वे हेलीकॉप्टर से भोपाल के जंबूरी मैदान पहुंचेंगे जहां पर आयोजित विशाल तेंदूपत्ता संग्राहक सम्मेलन में शामिल होंग
आपको बता दें कि इसके पहले नवंबर माह में भगवान बिरसा मुंडा के तहत विशाल आदिवासी सम्मेलन भोपाल के जंबूरी मैदान में किया गया था। आयोजित कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे। उस कार्यक्रम में प्रदेश भर के लगभग दो लाख आदिवासी समुदाय के लोग शामिल थे।
बहरहाल सरकार की इस आयोजन को आगामी विधानसभा चुनाव 2023 की तैयार से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके पहले सन 2018 के चुनाव में भाजपा से आदिवासी वोट बैंक का कुछ हिस्सा बीजेपी से छिटककर कांग्रेस की ओर चला गया था जिससे बीजेपी प्रदेश सरकार बनाने में पीछे रह गई थी, और कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। इसीलिए इस बार पहले से ही आदिवासियों को साधने जी कवायद प्रारम्भ की गई है जिससे 2018 के नतीजे दोहराए न जाए। बीजेपी कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती जिससे कि उन्हें आगामी 2023 के चुनाव में किसी भी मुश्किल का सामना करना पड़े ।