उमरिया/पाली (संवाद)। माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के परिपालन में मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा तैयार रामकथा साहित्य में वर्णित वनवासी चरितों पर आधारित “वनवासी लीलाओं” क्रमशः भक्तिमती शबरी और निषादराज गुह्य की प्रस्तुतियां जिला प्रशासन के सहयोग से प्रदेश के 89 जनजातीय ब्लॉकों में होंगी।

इस क्रम में जिला प्रशासन उमरिया के सहयोग से दो दिवसीय वनवासी लीलाओं की प्रस्तुतियां आयोजित की जा रही हैं। प्रस्तुतियों की श्रृंखला में सर्वप्रथम आज 21 मई, 2022 को सामुदायिक भवन, स्कूल ग्राउंड बीईओ ऑफिस, पाली जिला उमरिया में श्री सुश्री सविता दाहिया- उमरिया द्वारा भक्तिमति शबरी की प्रस्तुति दी गई।

प्रथम दिन कार्यक्रम के शुभारंभ के दौरान माननीय मंत्री जनजातीय कार्य एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग सुश्री मीना सिंह, कलेक्टर उमरिया श्री संजीव श्रीवास्तव, एसडीएम पाली सुश्री नेहा सोनी, तहसीलदार पाली श्री राजेश पारस, सीएमओ पाली श्रीमती आभा त्रिपाठी के साथ अन्य अधिकारी मौजूद रहे। प्रस्तुति का आलेख श्री योगेश त्रिपाठी एवं संगीत संयोजन श्री मिलिन्द त्रिवेदी द्वारा किया गया है। वहीं 22 मई, 2022 को श्री दुर्गेश सोनी- बरही द्वारा वनवासी लीला नाट्य निषादराज गुह्य की प्रस्तुति दी जायेगी। यह दो दिवसीय कार्यक्रम प्रतिदिन सायं 7.30 बजे से आयोजित किया जा रहा है।

वनवासी लीला नाट्य भक्तिमति शबरी कथा में बताया कि पिछले जन्म में माता शबरी एक रानी थीं, जो भक्ति करना चाहती थीं लेकिन माता शबरी को राजा भक्ति करने से मना कर देते हैं। तब शबरी मां गंगा से अगले जन्म भक्ति करने की बात कहकर गंगा में डूब कर अपने प्राण त्याग देती हैं। अगले दृश्य में शबरी का दूसरा जन्म होता है और गंगा किनारे गिरि वन में बसे भील समुदाय को शबरी गंगा से मिलती हैं। भील समुदाय़ शबरी का लालन-पालन करते हैं और शबरी युवावस्था में आती हैं तो उनका विवाह करने का प्रयोजन किया जाता है लेकिन अपने विवाह में जानवरों की बलि देने का विरोध करते हुए, वे घर छोड़ कर घूमते हुए मतंग ऋषि के आश्रम में पहुंचती हैं, जहां ऋषि मतंग माता शबरी को दीक्षा देते हैं। आश्रम में कई कपि भी रहते हैं जो माता शबरी का अपमान करते हैं। अत्यधिक वृद्धावस्था होने के कारण मतंग ऋषि माता शबरी से कहते हैं कि इस जन्म में मुझे तो भगवान राम के दर्शन नहीं हुए, लेकिन तुम जरूर इंतजार करना भगवान जरूर दर्शन देंगे। लीला के अगले दृश्य में गिद्धराज मिलाप, कबंद्धा सुर संवाद, भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग मंचित किए गए। भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग में भगवान राम माता शबरी को नवधा भक्ति कथा सुनाते हैं और शबरी उन्हें माता सीता तक पहुंचने वाले मार्ग के बारे में बताती हैं। लीला नाट्य के अगले दृश्य में शबरी समाधि ले लेती हैं।