पंचायती संवाद की खबर का असर:जिला चिकित्सालय का तुगलगी फरमान निरस्त,बवाल के बाद निरस्त करने का निर्देश जारी

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शहडोल (संवाद)। स्वर्गीय कुशाभाव ठाकरे जिला चिकित्सालय शहडोल के सिविल सर्जन के द्वारा जारी तुगलगी फरमान को निरस्त कर दिया गया है। भारी बवाल और बातचीत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने तुगलगी फरमान के निरस्त की के निर्देश जारी कर दिए हैं। इसको लेकर मध्यप्रदेश का प्रमुख न्यूज़ पोर्टल पंचायती संवाद के द्वारा इस संबंध में खबर प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी और इस पर सवाल भी खड़े किए थे।

पंचायती संवाद की खबर का असर:जिला चिकित्सालय का तुगलगी फरमान निरस्त,बवाल के बाद निरस्त करने का निर्देश जारी

दरअसल जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ जीएस परिहार के द्वारा 13 जनवरी को जारी निर्देश किसी तुगलगी फरमान से काम नहीं है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि जिला चिकित्सालय में कार्यरत सभी सर्जिकल विशेषज्ञ, अस्थि रोग विशेषज्ञ और पीजीएमओ सर्जरी को आदेशित किया जाता है कि ऑपरेशन के पूर्व मरीज या उनके परिजनों से शपथ पत्र लिया जाय। जिसमें यह लिखा जाए की हमारे द्वारा ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक के द्वारा पैसे की मांग नहीं की गई है,या हमारे द्वारा कोई पैसा नहीं दिया गया है।

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पत्र में यह भी फरमान लिखा था कि बगैर शपथ पत्र लिए चिकित्सक मरीज का बिल्कुल भी किसी भी प्रकार का ऑपरेशन नहीं करें। इस निर्देश को नहीं मानने वाले चिकित्सक या सजन के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी जिसकी समस्त जिम्मेदारी चिकित्सा के की होगी।

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इस पत्र के जारी होने के बाद बड़ा सवाल यह की क्या सिविल सर्जन के द्वारा जारी किए गए इस फरमान की तरह शासन के द्वारा कोई निर्देश दिए गए हैं या नही.? इसके अलावा बड़ा सवाल यह उठता है कि किसी मरीज का कभी भी अचानक ऑपरेशन करना पड़ जाए तो क्या वह पहले तहसील या कोर्ट का चक्कर लगाकर शपथ पत्र बनाने जाएगा, इसके बाद उसका ऑपरेशन होगा।

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कुशाभाउ ठाकरे जिला चिकित्सालय शहडोल के सिविल सर्जन के द्वारा जारी निर्देश के बाद पूरे जिले के लोगों और जिला चिकित्सालय में भी इस निर्देश की चर्चा जोरों पर है लोग अपने-अपने तर्क दे रहे हैं लेकिन लोगों का यही मानना है कि यह निर्देश कहीं से भी उचित नहीं है।

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दरअसल बीते दिनों ऑपरेशन ने नाम पर डॉक्टर के द्वारा मरीज से पैसा लिए जाने का मामला सामने आया था जिसमें मामला मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के संज्ञान में आने के बाद चिकित्सक डॉ अपूर्व पांडेय को सस्पेंड कर दिया गया था।नइसी मामले को लेकर अब चिकित्सक अपने हक में यह फरमान जारी किया था जिसे अब सिविल सर्जन जीएस परिहार के द्वारा निरस्त कर दिया गया है।

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