नगरीय निकाय चुनाव: नगरीय प्रशासन विभाग और निर्वाचन आयोग आमने-सामने,आरक्षण को लेकर बढ़ा विवाद

Editor in cheif
5 Min Read
उमरिया (संवाद)। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव को जहां आचार संहिता लागू है वही 11 जून से नामांकन प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। इस बीच नगरीय प्रशासन विभाग के उप सचिव आर के कार्तिकेय की एक चिट्ठी ने प्रदेश में हड़कंप मचा दिया है।
जानकारी के मुताबिक उपसचिव के द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग को लिखे गए पत्र यह उल्लेख किया गया है कि उमरिया सहित अन्य 12 नगरपालिका,नगर परिषदों के अध्यक्ष का चुनाव  2014 में किये गए आरक्षण के अनुसार कराया जाय। इस संबंध में उनके द्वारा बकायदे अधिनियम की धारा का भी उल्लेख किया गया है।
चूंकि इस संबंध में बताया गया कि 2014 में नगरीय निकायों के अध्यक्ष का आरक्षण किया गया था।इस बीच प्रदेश के लगभग नगरीय निकायों का चुनाव करा लिया गया था,लेकिन उमरिया नगरपालिका सहित प्रदेश के 12 नगरीय निकायों के चुनाव नही हो पाए थे। इस कारण बची हुई 19 नगरीय निकायों के अध्यक्ष का चुनाव 2014 में किये गए आधार पर होना चाहिए। वही यह भी जानकारी और नियम है कि नगरीय निकायों का आरक्षण एक बार एक साथ किया जाता है और वह लगभग 10 साल के लिए रहता है। तो इस नियम के आधार पर उमरिया नगरपालिका के अध्यक्ष का चुनाव 2014 के आरक्षण के आधार किया जाना चाहिए।
लेकिन अब बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर यह चूक किसने की है।चूंकि आरक्षण प्रक्रिया को नगरीय प्रशासन विभाग ही संम्पन्न कराता है और इस संबंध में अधिनियम भी नगरीय प्रशासन विभाग के है।फिर उनके द्वारा यह गलती कैसे हुई। इनके द्वारा आरक्षण प्रक्रिया घोषित कर राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपा था। अब पुनः जब चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है तब नगरीय प्रशासन विभाग एक पत्र के माध्यम से आरक्षण प्रक्रिया में सुधार कर 2014 में हुए अध्यक्ष पद का आरक्षण के आधार पर चुनाव कराने की बात कहां तक उचित है।
राज्य निर्वाचन आयोग का होगा अंतिम फैसला
हालांकि नगरीय प्रशासन विभाग के द्वारा लिखे गए पत्र में आखरी मुहर राज्य निर्वाचन की ही होगी कयोंकि राज्य निर्वाचन आयोग ने हाल ही में हुए आरक्षण प्रक्रिया के तहत चुनाव कराने का अचार संहिता लागू कर, कार्यक्रम घोषित कर चुका है।इसके लिए निर्वाचयन आयोग ने पूरी तैयारी कर रखी है और निर्वाचन प्रक्रिया में नाम निर्देशन पत्रों की प्राप्ति और दाखिल करने का समय शुरू हो गया है। ऐसे में आरक्षण प्रक्रिया में बदलाव करना निर्वाचन आयोग का एकाधिकार है।
प्रदेश की उमरिया नगर पालिका सहित 12 नगरीय निकाय है जिसमे छतरपुर जिले की महराजपुर नगर पालिका परिषद, नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव नगर पालिका, राजगढ़ नगर पालिका,रायसेन जिले की सांची नगर परिषद,शहडोल की धनपुरी नगर पालिका,सीधी नगर पालिका,चुरहट नगर परिषद,बैतूल की भैसदेही नगर परिषद,अनूपपुर नगर पालिका परिषद,देवास जिले की पिपलरवां नगर परिषद और नगर परिषद टोंकखुर्द शामिल है।
छतरपुर से उठा मामला
इस पूरी प्रक्रिया में नगरीय प्रशासन विभाग भोपाल के द्वारा हुई इस बड़ी चूक का मामला छतरपुर जिले नगर पालिका महाराज पुर से खुला है।इस संबंध वहां के लोंगो ने वर्तमान में किये गए अध्यक्ष के आरक्षण के आधार पर चुनाव कराने के खिलाफ स्थानीय स्तर से लेकर राजधानी तक आवाज बुलंद की जिसके बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने अपनी गलती स्वीकारते हुए अधिनियम के तहत 2014 में हुए आरक्षण से चुनाव कराने संबंधी पत्र निर्वाचन आयोग को भेजा है।
हाल ही में हुए आरक्षण अगले चुनाव में होंगे लागू
जानकारी के मुताबिक नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा नगरीय निकाय के महापौर, अध्यक्ष का किये गए आरक्षण अगले चुनाव या 10 साल के भीतर तक लागू होते है और इसके तहत बकायदे नियम भी बनाये गए है।
प्रदेश में पहले की बची हुई नगरीय निकाय जिनमें चुनाव नही हो पाए थे 12 नगरीय निकाय शामिल है। इस लिहाज से इन जगहों पर 2014 में किये गए आरक्षण के अनुसार ही चुनाव होने चाहिए। परंतु नगरीय प्रशासन की चूक से यह स्थिति निर्मित हुई है। हालांकि शिकायत के बाद नगरीय प्रशासन विभाग गलती मानते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को एक पत्र जारी कर 2014 के आधार पर चुनाव कराने का निवेदन किया है।देखना होगा चुनाव आयोग अचार संहिता के दौरान  किस नियम से आरक्षण में बदलाव कर 2014 के आरक्षण के आधार पर चुनाव संम्पन्न कराता है या हाल ही में हुए आरक्षण के आधार पर, इस मामले में अंतिम मुहर राज्य निर्वाचन आयोग की ही लगेगी, जिसके बाद ही तश्वीर स्पष्ट हो सकेगी।
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *