जबलपुर (संवाद) बीते दिन महानगर जबलपुर में एक निजी हॉस्पिटल में भीषण अग्निकांड के बाद मध्य प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य विभाग एक्शन मोड में आया है और लापरवाही बरतने व दोषियों पर ताबड़तोड़ कार्यवाही करना प्रारंभ कर दिया है। इधर इस मामले में मरीजों की सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई है।
दरअसल बीते 1 अगस्त को दोपहर जबलपुर के दमोह नाका स्थित एक निजी अस्पताल न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई और आग इतनी भीषण हो गई की पूरी अस्पताल की बिल्डिंग को अपनी चपेट में ले ली। जिसमें झुलसकर 8 लोगों की दुखद मौत हो गई। जिसके बाद मध्यप्रदेश सरकार और जबलपुर प्रशासन की नींद खुली और कड़ा एक्शन लेते हुए हॉस्पिटल प्रबंधन के ऊपर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया और जबलपुर के संभाग संभाग आयुक्त, कलेक्टर, स्वास्थ्य अधिकारी और पुलिस के द्वारा मामले की जांच हेतु निर्देशित किया गया। जिसके बाद पुलिस ने हॉस्पिटल प्रबंधन की डॉक्टर सुरेश पटेल, डॉक्टर संजय पटेल, डॉक्टर निशांत गुप्ता, डॉक्टर संजय सोनी और मैनेजर राम सोनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है उनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है।
वही हॉस्पिटल में फायर सिक्योरिटी सिस्टम कि ना तो एनओसी ली गई थी और न ही इससे बचाव के कोई इंतजाम मौजूद थे, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि यह अस्पताल बगैर किसी नियम कानून के संचालित होता रहा है जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने इस हादसे के बाद एक पत्र भी जारी किया है जिसमें महानगर जबलपुर के 52 हॉस्पिटल के नाम हैं जिनमें मरीजों की सुरक्षा संबंधी तमाम नियम शर्तों के बगैर और लापरवाही पूर्वक संचालित है।
जिले का सरकारी स्वास्थ्य विभाग जिसकी जिम्मेदारी बनती है कि किसी भी निजी हॉस्पिटल के संचालन के पहले तमाम मामलों में नियम निर्देशों की एनओसी के बाद ही संचालन किया जाना होता है। इसके अलावा सरकारी स्वास्थ्य अमला और जिले के मेडिकल ऑफिसर और फायर सेफ्टी की टीम के द्वारा समय-समय पर निरीक्षण भी किया जाना होता है लेकिन इनके द्वारा लगातार लापरवाही बरती गई है। जिसके बाद जिले के सीएमएचओ की लापरवाही और फर्जी तरीके से अस्पताल संचालन में दोषी पाते हुए सीएमएचओ रत्नेश कुरारिया को निलंबित कर दिया गया है। और इन सभी मामलों की सरकारी अधिकारियों के द्वारा जांच की जा रही है।
इधर हॉस्पिटल में भीषण अग्निकांड का मामला अब हाईकोर्ट तक पहुंच गया है जहां जन कल्याण परिषद के एक वकील ने हाईकोर्ट में इस बाबत याचिका दायर किया है कि बगैर नियम निर्देशों और एनओसी लिए बगैर जिम्मेदारों सरकारी अमला से सांठगांठ कर निजी अस्पताल के संचालको के द्वारा अस्पतालों का बेधड़क संचालन किया जा रहा है। जिसमें मरीज और परिजनों की सुरक्षा और उनके जीवन से खिलवाड़ है। वही हॉस्पिटल को सुंदर और फाइव स्टार होटलों की तरह दिखाने के लिए प्लास्टिक और ज्वलनशील रबर का इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि अस्पताल बिल्डिंग के निर्माण में इन फ्लेमेबल यानी आग रोधक सामग्री का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि हॉस्पिटल में नियमित रूप से फायर सेफ्टी टीम और इलेक्ट्रीशियन भी निरीक्षण करें जिससे अस्पतालों में अग्नि दुर्घटनाओं को टाला जा सके। याचिका दायर करने वाले जन कल्याण परिषद के वकील प्रवीण पांडे ने हाईकोर्ट से जल्द सुनवाई करने का आग्रह किया है।