विधानसभा के बाद अब लोकसभा में आमने-सामने आए गणेश सिंह और सिद्धार्थ कुशवाहा
फिरोज़ खान बागी✍️
सतना (संवाद)। मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा सीमेंट हब बन चुका सतना लोकसभा क्षेत्र यूं तो हमेशा से ही राजनीति का केंद्र बिंदु रहा है। यहां से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रह चुके कांग्रेस के कद्दावर अर्जुन सिंह और भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा जैसे नेता चुनाव हार चुके हैं तो मध्य प्रदेश में बसपा का खाता खोलने वाले सुखलाल कुशवाहा जैसे नेताओं की कर्मभूमि रही है। यह वही सतना है जहां जन्म लेने वाले बैरिस्टर गुलशेर अहमद सतना विधानसभा से जीतने के बाद मध्यप्रदेश विधानसभा के स्पीकर से लेकर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल तक का सफर तय किया। ब्राम्हण और पटेल बाहुल्य इस लोकसभा सीट से बड़े-बड़े दिग्गजों को हार का स्वाद चखना पड़ा है। यहां से मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ.राजेन्द्र सिंह जैसे नेताओं को कई बार पराजय का मुंह देखना पड़ा है।
1998 से लगातार भाजपा का कब्जा
सतना लोकसभा सीट से 1998 में भाजपा के रामानंद सिंह ने जीत हासिल की थी, तब से लेकर आज तक भाजपा का कब्जा जमा हुआ है। रामानंद सिंह 1998 और 1999 में लगातार भाजपा के सांसद चुने गए। इसके बाद 2004 में पहली बार भाजपा के ही गणेश सिंह सांसद चुने गए। इस तरह 2009, 2013 और फिर 2019 में भी गणेश सिंह ने अपनी कुर्सी बचाए रखी। कुल मिलाकर पिछले 26 वर्षो से सतना सीट भाजपा के कब्जे में है।
बनेगा या टूटेगा रिकार्ड
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने एक बार फिर वर्तमान सांसद गणेश सिंह को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने लगातार दूसरी बार सतना से विधायक चुने गए सिद्धार्थ कुशवाहा उर्फ डब्बू को मैदान में उतारा है। दोनो ही सतना जिले में ओबीसी के बड़े चेहरे हैं। अभी तक कांग्रेस यहां से ठाकुर और ब्राम्हण को ही उम्मीदवार बनाती आ रही थी, जिसका परिणाम शून्य रहा। लेकिन इस बार ओबीसी प्रत्याशी पर दांव लगाया है। ख़ास बात ये है कि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में यही दोनों प्रत्याशी गणेश सिंह भाजपा और सिद्धार्थ कुशवाहा कांग्रेस से आमने सामने थे। जिसमें गणेश सिंह को पराजित कर सिद्धार्थ कुशवाहा विधानसभा पहुंच गए। अब लोकसभा में एक बार फिर दोनों आमने सामने हैं। टक्कर दोनों में बराबर है। यह चुनाव जीते कोई भी लेकिन इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा। उसकी बड़ी वजह यह है कि गणेश सिंह लगातार 4 बार सांसद रह चुके हैं और पांचवी बार मैदान में हैं। यदि गणेश सिंह जीत हासिल करते हैं तो उनका खुद का पिछला रिकार्ड टूट जायेगा और लगातार पांच बार सासंद बनने वाले गणेश सिंह पहले नेता बन जायेंगे। यदि सिद्धार्थ कुशवाहा चुनाव जीतते हैं तो विधायक रहते हुए सांसद बनने वाले और 20 साल के अजेय सांसद को पराजित करने वाले पहले नेता बन जायेंगे। इस तरह यह चुनाव जीते कोई भी लेकिन पिछला रिकार्ड टूटेगा जरूर।
लोकसभा चुनाव एक नज़र में
कुल मतदान केन्द्र -1950
कुल मतदाता -17 लाख 7 हजार 71
पुरुष -8 लाख 91 हजार 307
महिला-8 लाख 12 हजार 187
अन्य -06
पिछले पांच चुनावों का परिणाम
वर्ष – विजयी दल व प्राप्तमत- निकटतम
2019- भाजपा 5,88,753 कांग्रेस 3,57,280
2014- भाजपा 5,75,288 कांग्रेस 3,66,600
2009- भाजपा 1,94,624 बसपा 1,90,206
2004- भाजपा 2,39,706 कांग्रेस 1,56,116
1999- भाजपा 2,17,932 कांग्रेस 2,14,527