घनघोर जंगल मे छुपे शिक्षक को पुलिस ने किया गिरफ्तार, छात्राओं के यौन शोषण का मामला, फादर और महिला वार्डन अब भी फरार,जानिए क्या है पूरा मामला

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डिंडौरी (संवाद)। जिले के समनापुर थाना अंतर्गत जुनवानी स्थित मिशनरी स्कूल में छात्राओं के यौन शोषण मामले के प्राचार्य की गिरफ्तारी के बाद अब एक शिक्षक की गिरफ्तारी मंडला की पुलिस ने गिरफ्तारी की है। आरोपित शिक्षक मंडला जिले के चंदवारा के जंगल में बनी एक झोपड़ी में छिपा हुआ था। रविवार की सुबह आरोपित को घेराबंदी कर पकड़ा गया।
मिशनरी स्कूल की जांच के दौरान से ही संबंधित आरोपित शिक्षक खेमचंद बिरको उम्र 23 वर्ष निवासी चंदवारा जिला मंडला फरार था। वह लगातार पुलिस को चकमा देकर अपने रिश्तेदारों के गांव मुर्ता, अंगवार सहित जंगलों में घूम रहा था। उसने अपना मोबाइल भी शुरुआती दौर से ही बंद कर दिया था। रिश्तेदारों पर नजर रखने से आरोपित को गिरफ्तार करने में पुलिस को सफलता हाथ लगी। संबंधित शिक्षक स्कूल में पढ़ाने के दौरान भी नाबालिग छात्राओं से सबके सामने अश्लील हरकत करता था।

अभी भी फरार है फादर और महिला वार्डन

इस मामले में एक और आरोपित मिशनरी स्कूल के पादरी सनी फादर का भी अब तक कोई सुराग नहीं लग सका है। सनी फादर केरल का रहने वाला बताया जा रहा है। केरल में उसकी तलाश करने डिंडौरी पुलिस जाने वाली है। बताया गया कि आरोपित शनि फादर के माता-पिता नहीं है। उसके दो और भाई हैं, जो मिशनरी संस्थानों में पादरी का ही काम कर रहे हैं। यौन शोषण के मामले में सहयोग करने वाली वार्डन सविता एक्का उम्र लगभग 35 वर्ष छत्तीसगढ़ के रायपुर निवासी बताई जा रही है। उसके रायपुर में होने की सूचना पर डिंडौरी पुलिस 3 दिनों से रायपुर में डेरा जमाए हुए हैं। संभावना व्यक्त की जा रही है कि शीघ्र ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। चर्चा है कि गिरफ्तारी के बाद से ही आरोपित शिक्षक खेमचंद द्वारा पुलिस को छोड़ने के लिए कितना पैसा लेना है इसका आफर दिया जा रहा है। बताया गया उसे महज 9 हजार प्रतिमाह ही मिलते हैं, उसके बाद भी उसके द्वारा मनचाहा पैसा देने की बात कहना एक बड़े गिरोह से मदद मिलने की चर्चाएं सामने आ रही है।
बाल संरक्षण आयोग से छात्राओं ने बताई आप बीती

बच्चों को आइसक्रीम और सॉफ्टी जैसे शब्दों से कुछ बच्चियों के लिए नारकीय यातना और असहनीय प्रताड़ना का संकेत होते थे,जो डिंडोरी के मिशनरी स्कूल में पढ़ती हैं। छात्राओं के यौन शोषण का मामला सामने आने के बाद इस स्कूल की पीड़ित बच्चियों से जब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बात की, तो बेहद चौंकाने और शर्मसार करने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस स्कूल के प्राचार्य को पहले ही गिरफ्तार कर लिया है और अन्य आरोपितों की तलाश जारी है।

सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कुछ बच्चियों से बात की तो उन्होंने बताया कि यौन शोषण के लिए जो बच्चियां तैयार नहीं होती थीं, उनकी जमकर पिटाई की जाती थी, जब तक की वह बेहोश न हो जाएं। उन्हें कुछ कोड वर्ड समझा दिया जाता था कि ऐसा कहा जाए तो उन्हें बिना किसी विरोध के लिए तय स्थान पर पहुंच जाना है। जब खुलेआम किसी बच्ची को शोषण के लिए बुलाना हो तो कहा जाता कि चलो आइसक्रीम खा लो, इसी प्रकार साफ्टी का अर्थ होता था कि आरोपित ओरल सेक्स चाहता है। जो बच्चियां इस मकड़जाल में फंस चुकी थी, वह इन शब्दों के कान में पड़ते ही कांप उठती थीं। सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि बच्चियों को यौन शोषण के लिए उकसाने के लिए प्रताड़ित करने के साथ लालच भी दिया जाता था।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने नईदुनिया से इन तथ्यों की पुष्टि करते हुए कहा कि जैसे—जैसे बच्चियां भयमुक्त होंगी, स्कूल में आरोपितों की और भी करतूत सामने आएगी। अपराध और शोषण के तरीके से शंका है कि प्रदेश के अन्य मिशनरी स्कूलों में भी ऐसे मामले सामने आ सकते हैं। इसके खुलासे के लिए विशेष सतर्कता के साथ जांच की आवश्यकता होगी। चूंकि बच्चियों के साथ मारपीट की जाती है और भयभीत रखा जाता है तो वे घर पर परिजनों से भी कुछ न बताती हों।

इन धाराओं के तहत दर्ज किया गया मामला 

मवई थाना प्रभारी संतोष सिसोदिया ने बताया कि बाल कल्याण समिति सदस्य योगेश पाराशर की रिपोर्ट पर
सेंट जोसेफ स्कूल के फादर जी बी सेबेस्टियन और छात्रावास अधीक्षक कुंवर सिंह के खिलाफ बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम 03, 14, भादवि 34, 374, किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 42 और 75, एवं धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 3,5 ,11 एवं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता) अधिनियम 1989, संशोधित 2015, 3(1),(H) तथा 3(2)5 के अंतर्गत मामला दर्ज किया है।
Source: नई दुनिया

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