राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पूर्व सीएम डा. रमन सिंह को सीएम भूपेश बघेल उनके क्षेत्र राजनांदगांव में चुनौती देने उतरेंगे। अब तक हुए तीन उपचुनाव में भाजपा के किसी बड़े नेता का प्रभाव नहीं था। ऐसे में रमन बनाम भूपेश की लड़ाई इस चुनाव में देखने को मिलेगी। जकांछ अपना अस्तित्व और पार्टी को बचाने के लिए जीत दर्ज करने पूरा जोर लगाएगी। अगर जकांछ उम्मीदवार हार जाता है तो विधानसभा में पार्टी के सिर्फ तीन विधायक बचेंगे।
खैरागढ़ उपचुनाव तय करेगा रमन का भविष्य
खैरागढ़ उपचुनाव को लेकर चर्चा है कि इससे डा. रमन सिंह का भविष्य तय होगा। दरअसल, केंद्रीय संगठन ने साफ कह दिया है कि उत्तर प्रदेश की जीत के बाद खैरागढ़ में भी उसी तर्ज पर माहौल बनाया जाए। इसकी कमान रमन सिंह को सौंपी गई है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो उपचुनाव के परिणाम के बाद तय होगा कि रमन का प्रदेश भाजपा की राजनीति में क्या कद होगा।
पिछले चुनाव में 30 हजार वोट से पिछड़ी थी कांग्रेस
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जब पूरे प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल था, उस दौर में कांग्रेस खैरागढ़ में 30 हजार वोट से पिछड़ी थी। कांग्रेस उम्मीदवार गिरवर जंघेल को सिर्फ 31 हजार 811 वोट मिले थे, जबकि देवव्रत सिंह ने 61 हजार 516 वोट लेकर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के सामने पिछले चुनाव के 30 हजार वोट को साधने की चुनौती है। हालांकि कांग्रेस को सीएम भूपेश बघेल के काम पर भरोसा है और उम्मीद कर रही है कि पिछले तीन उपचुनाव की तरह इस बार भी जीत मिल जाएगी।
वर्ष 2018 के चुनाव में इस तरह मिले वोट
प्रत्याशी प्राप्त मत मतों का प्रतिशत
देवव्रत सिंह जकांछ 61,516 36.08
कोमल जंघेल भाजपा 60,646 35.57
गिरवर जंघेल कांग्रेस 31,811 18.66
( कुल मतदान – 84.59 प्रतिशत)