उम्र 82 के जज्बे को सलाम, राष्ट्रीय पटल पर बढ़ा उमरिया जिले का गौरव, बैगा चित्रकार जोधइया बाई को राष्ट्रपति ने दिया नारीशक्ति सम्मान

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कौशल विश्वकर्मा, एडिटर इन चीफ।उमरिया (संवाद)। आदिवासी बाहुल्य जिला उमरिया की छोटे से गांव में रहने वाली 82 वर्षीय बैगा आदिवासी चित्रकार जोधाइया बाई बैगा को देश के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नारीशक्ति सम्मान से नवाजा है।गौरतलब है कि आज 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम में देशभर की,अपने प्रदेश और क्षेत्र की विभिन्न विधाओं में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महारत हासिल कर चुकी महिलाओं को नारीशक्ति सम्मान के लिए चयनित किया गया था। जिसमे मध्यप्रदेश के उमरिया जैसे छोटे आदिवासी जिले की बैगा चित्रकार जोधाइया बाई को आमंत्रित किया गया था। जिसे राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नारीशक्ति सम्मान से सम्मानित किया है। जोधाइया बाई बैगा को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिलने से उनके साथ उमरिया जिले का नाम भी राष्ट्रीय पटल पर गौरवान्वित हुआ है।उम्र 82 के जज्बे को सलाम82 साल की उम्र से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इंसान की क्या स्थिति होगी। लेकिन जोधाइया बाई की 82 की उम्र में उनके साहस और जज्बे को सलाम है।बता दे कि पूरे जीवन भर खेतो में बनी-मजूरी, रेत-गारा और बकरी चराकर अपने जीवन के आखरी पड़ाव पर पहुंच चुकी जोधाइया बाई ने 60 वर्ष की उम्र में पेंटिंग सीखना शुरू किया और धीरे-धीरे 10 वर्षों में उसने ऐसा कर दिखाया कि बैगा जनजाति चित्रकला में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर ली। जोधाइया अम्मा भारत देश के कई महानगरों में चित्रकारी कर चुकी है देश के भारत भवन, जनजातीय संग्रहालय में उनकी पेंटिंग की प्रदर्शिनी देखी जा सकती है। इसके अलावा विदेशो के इटली, फ्रांस, जापान और इंग्लैंड में भी जोधाइया के बनाई गई पेंटिग की प्रदर्शनी लग चुकी हैं।वही प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा भी जिले में आयोजित आदिरंग कार्यक्रम सम्मानित हो चुकी है। इतना ही नही सीएम शिवराज लोढ़ा स्थित उनके घर भी जाकर जोधाइया बाई से मुलाकात कर चुके है।स्व आशीष स्वामी का सपना हुआ साकारचित्रकार जोधाइया बाई बैगा को राष्ट्रीय स्तर पर मिला नारी शक्ति सम्मान से मशहूर चित्रकार स्व आशीष स्वामी का सपना साकार हुआ है। इसके पीछे की हकीकत भी यही कहती है मुम्बई से अपना जमा जमाया कारोबार छोड़ जब आशीष उमरिया आये और लोढ़ा स्थित जनगण तस्वीर खाना के नाम पेंटिंग स्टूडियो खोला था, जिसके बाद जोधाइया बाई से उनकी मुलाकात हुई, आशीष स्वामी के प्रयास और समझाईस से ही जोधाइया ने अपने हाथों में ब्रस और स्याही थाम ली।धीरे धीरे आशीष ने चित्रकारी करना सिखया और उन्होंने बैगा आर्ट को देश-विदेश में भेजकर ख्याति प्राप्त की।
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