
उमरार नदी पुनर्जीवन पदयात्रा,15 से 20 मई तक चलेगी पदयात्रा

उमरिया (संवाद)।उमरिया की जीवनदायिनी उमरार नदी के संरक्षण एवं पुनर्जीवन हेतु उद्गम से संगम तक की पदयात्रा प्रारंभ की गई है । 15 मई को उमरार नदी के उद्गम से प्रराम्भ यह पदयात्रा उमरार और छोटी महानदी के संगम पर पहुंचकर 20 मई को सम्पन्न होगी । यह एक नागरिक पहल है जिसका संयोजन संस्कृति कर्मी बाला सिंह टेकाम और गांधीवादी चिंतक एवं सर्वोदय कार्यकर्ता संतोष कुमार द्विवेदी कर रहे हैं । पदयात्रा का उद्देश्य शासन और समाज की सहभागिता से उमरार नदी का पुनरुद्धार करना है । पदयात्रा में राष्ट्रीय नदी संवाद से देवस्वरूपनन्द और सुरेंद्र जी अलावा लगभग 12 लोग चल रहे हैं ।
उमरार नदी आकाशकोट के पहाड़ों के बीच स्थित सुआसिन खोल से निकलती है और लगभग 65 किलोमीटर की यात्रा पूर्ण कर चंदिया तहसील के ग्राम खैरभार के समीप छोटी महानदी में मिलती है ।
सत्तर के दशक में जिले का पहला बांध उमरार नदी पर बना था । जो ददरी, महरोई, उजनिया, उफरी, किरनताल, भगड़ा, लदेरा, पिपरिया, सेमरिया,महिमार, घंघरी, बड़ेरी, खेरवा, कछरवार आदि 20 – 25 गांवों के खेतों और उमरिया शहर की प्यास बुझाता था । लेकिन अब उसमें पर्याप्त पानी नही है । उसे जल देने वाली नदी उमरार खुद प्यासी है। लगभग 10 साल पहले तक उमरार सदानीरा नदी थी लेकिन अब उसमें पानी नही है ।

नदी से पत्थर और रेत का बेतहाशा उत्खनन, तटवर्ती जंगलों का विनाश, नदी के जलागम क्षेत्र में अतिक्रमण और छोटी छोटी जलसंरचनाओं का सिरे गायब होना नदी की मौत की वजह हैं । यदि इन्हें नही रोका गया तो उमरार नदी इतिहास बनकर रह जायेगी ।
पदयात्रा के संयोजक बाला सिंह टेकाम और संतोष कुमार द्विवेदी ने बताया कि पदयात्रा के दौरान हर गांव में नदी संवाद का कार्यक्रम रखा जाता है । जन जागृति और जन सहभागिता के जरिये संरक्षण की मुहिम को व्यापक बनाने की कोशिश की जा रही है ।
यात्रा के दौरान लोगों से नदी संरक्षण और पुनर्जीवन पर सलाह सुझाव एकत्र किए जा रहे हैं । ताकि यात्रा के बाद प्रशासन को एक मेमोरंडम दिया जा सके ।
यात्रा के समापन में 20 मई को खैरभार में विशाल नदी सम्मेलन रखा गया है जिसे संबोधित करने के लिए आयुक्त शहडोल संभाग राजीव शर्मा, ADG डी. सी. सागर और समाजिक कार्यकार्य मनीष राजपूत आमंत्रित हैं ।
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