अनूपपुर (संवाद)। चचाई स्थित अमरकंटक ताप विद्युत गृह का राखड़ बांध बीती रात अचानक फट गया। बांध का एक हिस्सा टूटने से उसके आसपास के सैकड़ों एकड़ जमीन राख के कीचड़ से अट गई। इसकी वजह बांध का सही समय पर रखरखाव नहीं किया जाना बताया जा रहा है। जैनको द्वारा डैम को सुधारने का काम किया जा रहा है। संभव है कि जल्द ही बांध के लीकेज वाले हिस्से को सुधार भी लिया जाए, लेकिन इस घटना के दुष्परिणाम दूरगामी होंगे।
अमरकंटक थर्मल पावर प्लांट 210 मेगावाट की क्षमता का पावर प्लांट हैं, जहां प्रतिदिन 3500 से 4000 टन कोयले की खपत होती है। इतनी बड़ी मात्रा में कोयले के दहन के बाद उसकी राख पानी के साथ बहाकर इसी राखड़ बांध में इकट्ठा की जाती है। इस राखड़ बांध के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च किए गए। यह बांध चचाई से करीब 5 किलोमीटर दूर ग्राम केल्हौरी में है। इस घटना की वजह से बांध के आस-पास स्थित केल्हौरी, बरगवां, देवरी सहित करीब आधा दर्जन गांव प्रभावित हुए। वहां के खेतों में कीचड़ के रूप में राख जमा हो गई। आस-पास के नदी-नालों और जंगलों में राख फैल गई। बांध के नजदीक से ही सोन नदी बहती है इसलिए यहां का क्षेत्र कृषि के नजरिये से बहुत समृद्ध है। खेतों में राख भर जाने की वजह से वहां की मिट्टी बर्बाद होने का खतरा पैदा हो गया है। बताया गया है कि माह पहले ही पुल के किनारे का हिस्सा मुरम डालकर पिचिंग की गई थी। सिविल विभाग के अधीन यह फ्लाइ ऐश बांध है। बांध फूटने की वजह प्लांट के अधिकारियों की लापरवाही मानी जा रही है। यह डैम चचाई पावर हाउस से करीब 5 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत केल्हौरी स्थित एक पहाड़ी के नीचे है। प्लांट के सिविल विभाग के अधिकारियों के द्वारा क्षतिग्रस्त ऐश डैम पुल के टूटे हिस्से को सुधारने का काम शुरू कर दिया गया है। इस डैम में 210 मेगावाट प्लांट से उत्सर्जित राख पाइप लाइन के जरिए डैम तक लाया जाता फिर यहां से राखड़ पानी नहर के माध्यम से दूसरे टैंक भेजा जाता है। जहां पानी को ट्रीटमेंट प्लांट भेजा जाता है। गांव के लगभग 10-12 किसानों के खेत में राखड़युक्त पानी भर गया जिससे फसल को नुकसान पहुंचा है। मामले की जांच करने प्रदूषण नियंत्रण विभाग शहडोल की टीम भी पहुंच गई है।
मेंटेनेंस मेंं खामी बड़ी वजह
जानकारों का कहना है कि आम तौर पर राखड़ बांधों की आयु 40 से 50 साल तक होती है। लेकिन केल्हौरी का यह बांध बमुश्किल पांच साल पुराना है। इसके रखरखाव के नाम पर खर्च भी खूब हो रहा है, लेकिल रखरखाव वास्तव में कितनी गंभीरता से किया जा रहा है उसका जवाब यह घटना है।
कार्यपालन निदेशक ने कुछ घंटे पहले किया था निरीक्षण बताया जाता है कि शक्तिभवन जबलपुर से गए कार्यपालन निदेशक वीके कैलासिया ने गुरुवार की शाम को ही इस राखड़ बांध का निरीक्षण किया था। लेकिन उनके यहां से जाने के बाद ही राखड़ डैम का एक हिस्सा फटकर बह गया।
डैम का पांच साल में ही फट जाना इसके रखरखाव के नाम पर की जा रही धांधली का परिचायक है। पहली नजर में यह घटना मेंटेनेंस की लापरवाही ही नजर आ रही है। जिसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए।।
– डा.पीके सोनी, जेनको-विशेषज्ञ
राखड़ बांध में तकनीकि खराबी आने की जानकारी मिली है। अब तक बांध में दरार आने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। पहली प्राथमिकता बांध को रिपेयर करवाना है। जांच के बाद ही इस घटना के बारे में कुछ भी कह सकते हैं।
वीके कैलासिया, इडी-ओ एंड एम
Source:nai duniya