उमरिया (संवाद) । जिले में तहसील पाली में निर्माणाधीन एनएच 43 के लिए अधिग्रहण भूमि का मुआवजा भूमि स्वामी को नही दिए जाने के बाद दायर याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय जबलपुर के मुख्य न्यायाधीश रवि मालिमठ एवं न्यायाधीश विशाल मिश्रा के खंडपीठ द्वारा सरकार के प्रति असंतोष जताते हुए कलेक्टर उमरिया संजीव श्रीवास्तव को इस मामले जल्द रिपोर्ट पेश करने को कहा है। हाईकोर्ट के जारी आदेश में यह भी कहा कि क्यों ना अधिग्रहित जमीन को सील किया जाए।

दरअसल उमरिया जिले के तहसील पाली अंतर्गत ग्राम सूखा निवासी सीताराम यादव ने उच्च न्यायालय जबलपुर मे याचिका दायर करते हुए अधिग्रहित भूमि सर्वे क्रमांक 281 के अंश क्षेत्रफल 0.040 हेक्टेयर भूमि को राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण हेतु अधिग्रहित किया गया था। उक्त भूमि के प्रथम अधिग्रहण हेतु 90 हजार रुपए की मुआवजा राशि प्रार्थी को देने हेतु आदेश पारित किया गया था। जिससे असंतुष्ट होकर याचिकाकर्ता के द्वारा आयुक्त शहडोल संभाग एवं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के समक्ष अपील प्रस्तुत किया गया था। जिसमे संभागायुक्त ने अपील की सुनवाई करते हुए मुआवजे की राशि 90 हजार से बढ़ाकर 15 लाख रुपए कर दिया गया था। यह आदेश दिनांक 11 फरवरी 2019 को पारित किया गया था | लेकिन आदेश दिनांक से 3 वर्ष की अवधि बीत जाने के बाद भी प्रार्थी याचिकाकर्ता को मुआवजे की राशि नहीं दी गई।

जिससे व्यथित होकर याचिकाकर्ता सीताराम यादव के द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर की गई एवं याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता जय शुक्ला के द्वारा की गई। जिसके बाद याचिका की सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने अफसोस जताते हुए सख्त लहजे में उमरिया जिले के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव को संबंधित प्रकरण में समुचित रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश के साथ-साथ यह भी कहा है कि क्यों ना अधिग्रहित भूमि को सील कर दिया जाए। बहरहाल अब देखना दिलचस्प होगा कि याचिकाकर्ता को राहत मिलती है या नहीं।